छत्तीसगढ़ी कविता में जनजागरण (लक्ष्मण मस्तुरिया के संदर्भ में)


कैलाश कुमार, शंकरमुनि राय
शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव (छ.ग.)

  ‘‘चल जवान कदम-कदम चल


तोर संग है जनगण के बल

  रक्षक तै देश अउ सुराज के

बजूर बनके गाज सही ढल

  भारत के तंय सपूत, सिव तपसी रूद्र रूप

  तोर बल म देश खड़े, हिम्मती मतंग धूत।’’

इन पंक्तियों के रचनाकार लक्ष्मण मस्तुरिया हैं। छत्तीसगढ़ी कविता को जन-जन की जुबान पर उतारने वाले इस कवि ने अपनी मिट्टी को जिस प्रकार साहित्यिक रंग में रंगा है, वैसा बहुत कम रचनाकार कर पाते हैं। लक्ष्मण मस्तुरिया छत्तीसगढ के एक ऐसे कवि का नाम है जिनकी कविताएं सामान्य जन की जुबान पर निवास करती हैं। वे लोकजीवन के तो कवि हैं हीए सांस्कृतिक जागरण और देष भक्ति के भी लोकप्रिय कवि है। छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिला के ग्राम मस्तूरी में 7 जून 1949 को जन्में लक्ष्मण जी को लोग उनसे अधिक उनकी जन्मभूमि को याद करते हैंए ऐसा इसलिए कि आपने अपने नाम के साथ अपनी जन्मभूमि को जोड़ा है। 

मस्तुरिया जी के साहित्यिक जीवन की शुरुआत पत्र-पत्रिकाओं में लेख तथा स्तंभ लेखन से हुई। इसी बीच आपने छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक जागरण मंच चंदैनी-गोंदा के सर्वाधिक गीतों का सृजन किया। देवारडेरा और कारी जैसे प्रसिद्ध लोकमंचों के गीतों के आप लोकप्रिय रचनाकार रहे हैं। आकाशवाणी व दूरदर्शन के अधिकांश केंद्रों में उनकी रचनाएं प्रसारित होती रही हंै। वे दूरदर्शन रायपुर से प्रसारित धारावाहिक लोकसुर के निर्माता भी थे। म्यूजिक इंडिया पालीडोर द्वारा उनके लगभग 40 गीतों के ग्रामोफोन रिकॉड्र्स, सैकड़ों कैसेट, सीडी एल्बम प्रसारित की गई है। छत्तीसगढ़ी  के अनेक लोकप्रिय फिल्म जैसे- ‘मोर छैया भुइयां’, ‘मोर संग चलव’, ‘अंगना’, श्भोला छत्तीसगढ़िया’, ‘पिंजरा के मैना’, ‘पुन्नी के चंदा’, ‘माटी मोर महतारी’, ‘मया के बंधना’, ‘अंगना’, ‘बइरी सजन’, ‘भांवर’, ‘जहुरिया जागो रे’ आदि में आपके गीत बहुत प्रसि़द्ध हुउ है।

छोटी-बडी लगभग एक दर्जन काव्य संग्रहो के रचनाकार लक्ष्मण मस्तुरिया जी को उनकी काव्य कला के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।

लक्ष्मण मस्तुरिया की कविताओं में जनजागरण के तत्व के साथ ही सामाजिक जीवन के भी विविध पक्ष उजागर हुए हैं। प्रस्तुत षोधपत्र में इन्हीं बातों को ध्यान मे रखकर उनकी काव्यकला के विविध रुपों को उजागर किया गया है।


Reference 


1. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 16
2. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 17
3. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 18
4. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 21
5. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 22
6. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 51
7. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 62
8. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 63
9. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 64
10. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 80
11. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘मोर संग चलव’’ वैभव प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 87
12. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सांवरी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 02
13. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सांवरी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 07
14. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सांवरी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 11
15. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सांवरी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 70
16. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 09
17. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 21 
18. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 23
19. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 29 
20. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 31
21. मस्तुरिया लक्ष्मण ‘‘सोनाखान के आगी’’ लोकसुर प्रकाशन रायपुर पृष्ठ 31




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How to cite this article:
Kumar K and Rai SM (2022) छत्तीसगढ़ी कविता में जनजागरण (लक्ष्मण मस्तुरिया के संदर्भ में). Research Fronts, XI: 74-82.