वित्त आयोग की ग्राम पंचायत के विकास में भूमिका


रागिनी, के. एल. टांडेकर
शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव (छ.ग.)

भारत मे ग्राम पंचायतों का इतिहास बहुत पुराना है। वैदिक काल से ही हिन्दुराज व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक युग में इनकी भूमिका व अस्तित्व के प्रमाण समकालीन ग्रन्थों से प्राप्त होते है। सन् 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम आरंभ किया। 2 अक्टूबर 1959 को सर्वप्रथम राजस्थान ने  की , नयी पंचायती व्यवस्था का प्रारंभ किया । भारतीय संसद ने दिसंबर 1992 में  संविधान के 73 वें संविधान संषोधन द्वारा संविधान में नया अध्याय 9 जोड़ा गया है।


     वित्त आयोग की ग्राम पंचायत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है अध्ययन हेतु कुल 10 ग्राम पंचायतो का अध्ययन किया गया जिसमें विभिन्न सुविधाओं का विष्लेषण किया गया ,जिसमें विभिन्न नागरिकों द्वारा वित्त आयोग की सेवाओं का योगदान लगभग 80 जिससे वित्त आयोग की ग्राम पंचायत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।



Reference 


1.ष्षोध पद्धति डाॅ. आलोक गुप्ता एवं नितिन गुप्ता ।



2. व्यावसायिक सांख्यिकी डाॅ. एस. एम.षुक्ल एवं षिवपूजन सहाय ।



3.ष्षहरी विकास मंत्रालय की सेवा स्तर की पुस्तिका।



4. पत्रिका समाचार पत्र



5. जिला सांख्यिकी पुस्तिका राजनांदगाॅव।



6. अन्य वेबसाइट  https://drishtiias.com


7.वित्त आयोग की वेबसाइट https://sfc.cgstate.gov.in

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How to cite this article:
Ragini and Tandekar K L (2022) वित्त आयोग की ग्राम पंचायत के विकास में भूमिका . Research Fronts, XI: 68-73.